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25 हज़ार शिक्षकों की भर्ती रद्द करने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट पहुंची ममता सरकार

 25 Apr 2024

22 अप्रैल को कलकत्ता हाई कोर्ट ने 25 हज़ार से अधिक शिक्षक और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों की भर्ती को रद्द कर दिया था, जिसके बाद पश्चिमी बंगाल की ममता सरकार ने  फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है।ममता सरकार का कहना है कि कोर्ट पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द नहीं कर सकता है क्योंकि मामला 4000 भर्तियों को लेकर था। कोर्ट के इस फ़ैसले के कारण लोगों के साथ अन्याय हुआ है।


 


सभी लोगों के चयन को रद्द करना, न्याय नहीं 


पश्चिमी बंगाल की सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसलों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपनी अर्ज़ी दायर की है। सरकार ने कहा है कि हाईकोर्ट ने अवैध नियुक्तियों को अलग करने के बजाय सभी की नियुक्तियों को रद्द कर दिया है, जिसमें न्याय नहीं किया गया है। हाई कोर्ट में मामला पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द करने को लेकर नहीं था, बल्कि जो लोग केस में पीड़ित थे, उनके चयन को लेकर था। लेकिन कोर्ट ने पूरी चयन प्रक्रिया को ही सवालों के कठघरे में लाकर खड़ा कर दिया है।


हाई कोर्ट के फ़ैसले ने 2016 में हुई 25,753 शिक्षकों और ग़ैर-शिक्षकों की नियुक्तियों  को जिस तरह से समाप्त किया है, उससे राज्य में चल रहे शिक्षण संस्थान ठप पड़ जायेंगे। इसका बुरा प्रभाव छात्रों पर पड़ेगा। पश्चिमी बंगाल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि फ़िलहाल हाई कोर्ट के फ़ैसले पर रोक लगा देनी चाहिये जिससे राज्य के कर्मचारी चयन आयोग(एसएससी) को नयी भर्ती करने का समय मिल सके। राज्य ने अपने पक्ष में तर्क देते हुए कहा है कि जाँच एजेंसी सीबीआई ने भी 25,753 में से केवल 4000 भर्तियों को अवैध माना था।



शिक्षक भर्ती पर कलकत्ता हाईकोर्ट का क्या फ़ैसला था


कलकत्ता हाई कोर्ट ने 22 अप्रैल को शिक्षक भर्ती घोटाले में सुनवाई पूरी करते हुए 25,753 शिक्षक और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया। यानी अदालत ने इस पूरी भर्ती प्रक्रिया को ही रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा है कि 2016 में नियुक्ति पैनल के कार्यकाल की समाप्ति के बाद जिन कर्मचारियों का चयन हुआ है, उन्हें 12 फ़ीसदी ब्याज़ के साथ सारे पैसे वापस करने होंगे।


हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद जिन कर्मचारियों की नौकरी पर ख़तरा मंडरा रहा है, उन्होंने मंगलवार को शहीद मीनार मैदान में धरना भी दिया था। धरने में बैठे लोगों का कहना है कि उनका चयन लिखित परीक्षा और चयन प्रक्रिया के आधार पर हुआ था, तो उनके चयन को क्यों रद्द कर दिया गया है। धरने में बैठे लोगों का कहना है कि कुछ लोगों की ग़लती या अपराध की सज़ा उन्हें क्यों मिल रही है।



क्या है पूरा मामला


राज्य कर्मचारी चयन आयोग(एसएससी) ने 2016 में कक्षा 9 से 12 तक के लिए सहायक शिक्षकों और ग़ैर-शिक्षण कर्मचारियों के लिए चयन की प्रक्रियाओं को शुरू किया गया था, जिसकी परीक्षा  राज्य प्राथमिक शिक्षा (टीईटी) ने ली थी। साल 2021 में ख़ुलासा हुआ कि शिक्षक और ग़ैर-शिक्षण भर्तियों में उन लोगों को भी शामिल किया गया है जिनका टीईटी स्कोर बहुत कम था। मामला केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के पास गया। दोनों ही संस्थान अभी भी भर्ती प्रक्रिया को लेकर जांच कर रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, घोटाले में पश्चिमी बंगाल की सरकार पूर्व शिक्षा  मंत्री पार्थ चटर्जी सहितपार्टी से जुड़े कई बड़े नेता आरोपित है। इन पर आरोप है कि रिश्वत लेकर इन्होंने चयन की प्रक्रियाओं में हेर-फेर किया । पार्थ चटर्जी तृणमूल कांग्रेस की ममता सरकार में 2014 से लेकर 2021 तक शिक्षा मंत्री रहे थे। चटर्जी की गिरफ़्तारी के बाद उन्हें पार्टी से भी निकाल दिया गया था।